आधुनिकता के युग में बच्चों में फास्ट फूड का प्रचलन अत्यधिक बढ़ गया है। जो उनकी शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे हालातो में अभिभावकों को चाहिए कि वो सही रणनीतियां अपनाकर अपने बच्चों को इन समस्याओं से बचाएं और खुद भी जागरूक रहें। अगर आपके बच्चे को भोजन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो आप निम्नलिखित तरीके अपनाकर उनको सेहतमंद बनाने में मदद कर सकते हैं।
समस्या को दोहराना बंद करें
अधिकतर माएं जाने अनजाने अपने बच्चे के बारे में ऐसी बातें बोलती हैं, जिनको बच्चा सच समझने लगता है। ऐसे में वह सही रास्ते पर चलने की बजाय उसी रास्ते पर चलने लगता है जिस बारे में आपसे हर रोज सुनता है। बच्चे अपनी मां से अकसर ऐसी बातें सुनते पाए जाते हैं :-
नुकसान –
याद रखें माता-पिता का प्यार और स्नेह बच्चों के लिए बहुत ज़रूरी होता है। इसलिए उनके बारे में थोड़ा सोच समझ कर बोलें। आपका बच्चा वही बनेगा जैसा आप उसके बारे में बोलते हैं, ना की वह जो आप उसे बनाना चाहते हैं।
समाधान –
इन तरीकों की मदद लेकर आप समाधान की तरफ अपने कदम बढ़ा सकते हैं।
जबरदस्ती खाना खिलाना प्यार नहीं
हम सभी इस कहावत से परिचित हैं कि पैरंट्स अपने बच्चों के लिए जो भी करते हैं, सही करते हैं। लेकिन कभी-कभी जाने अनजाने आप इस कहावत का उल्लंघन करते नज़र आते हैं। याद रखें बच्चे को जबरन खाना खिलाना कोई प्यार नहीं है, बल्कि यह एक और नहीं मुसीबत को बुलावा देना है।
जबरदस्ती खिलाने के नतीजे :-
➡ भोजन के प्रति नफ़रत –
भोजन का बच्चों की सेहत और प्रसन्नता के साथ बहुत गहरा रिश्ता है। जब आप उनको बिना इच्छा के ठूंस कर खाना खिलाने हैं तो बच्चे की खाने के प्रति नफ़रत पैदा होना लाज़मी है।
➡ विश्वास कम होना –
जब आप अपना काम पूरा करने के लिए बच्चों से जबरदस्ती करते हैं या इस तरीके से खाना खिलाते हैं तो आपके प्रति उनका प्यार और विश्वास धीरे-धीरे कम होता है। आप उनको एक मालिक के रूप में नज़र आते हैं जो अपनी बात मनवाने के लिए कैसा भी बर्ताव कर सकते हैं।
➡ शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ना –
आपके ऐसा करने से बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि भोजन में लार न मिलने से एंजाइम काम नहीं करते और आंतों में पाचक रसों का स्त्राव ना होने के कारण भोजन का पाचन सही तरीके से नहीं हो पाता।
समाधान:-
➡ भूख लगने पर ही खाना दें –
जब तक बच्चे को भूख ना लगे, उसे जबरदस्ती खिलाने की कोशिश ना करें। भूख महसूस होने पर बच्चा अपने आप ही भोजन मांगने लगेगा।
➡ स्वादिष्ट खाना बनाएं –
बच्चे की मनपसंद का खाना बनाएं और उसके सामने बैठकर खाएं। जैसे बच्चे देखकर सीखते हैं, वैसे ही आपको देखकर उनको भूख भी लगने लगेगी और धीरे-धीरे अपने आप मांग कर खाने लगेंगे।
➡ शारीरिक गतिविधि कराएं –
जब हमारा शरीर ज्यादा कैलोरी बर्न करता है तो भूख भी ज्यादा लगती है। अगर बच्चे को भूख नहीं लगती तो उसे खेलने कूदने या साइकिल चलाने भेज दें, ताकि थोड़े समय बाद वह थक कर घर आए और भूख के कारण खाना मांगने लगे। ऐसे में आप उसको थोड़ा आराम करने के बाद ही खाना दें।
➡ धैर्य रखें –
अभिभावक होने के नाते आपके लिए ज़रूरी है कि बच्चों की हरकतों को सहन करने के लिए धैर्य रखें। इस बात की चिंता ना करें कि बच्चे ने बहुत देर से कुछ नहीं खाया। चिंतित होने की बजाय बीच का रास्ता अपनाने की कोशिश करें, क्योंकि आपकी मानसिक स्थिति बच्चे के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है।
चोट ना पहुंचाएं
मैंने देखा है कि अधिकतर माएं बच्चे को भोजन ना करने पर, बूरी तरह से मारने लगती हैं या ऐसे शब्दों का प्रयोग करती हैं जो बच्चे को खुद के प्रति संदेह पैदा करते हैं। शारीरिक या मानसिक रूप से बच्चे को प्रताड़ित करना कतई उचित नहीं है।
ध्यान देने योग्य बातें
बिना वजह जाने आप बच्चे को कुछ भी बोलें, यह अच्छे माता-पिता की निशानी नहीं है।
➡ आनुवांशिक कारण :-
आमतौर पर बच्चे का रंग रूप, कद, वजन, उसके माता-पिता पर निर्भर करता है। इसलिए शारीरिक बनावट को लेकर उनको कभी भी ताने ना दें। जैसे खा खाकर मोटा हो रहा है, कम खाया कर या कुछ तो खाया कर बिल्कुल ही पतला है आदि।
➡ तुलना ना करें :-
किसी भी इंसान से तुलना करते समय हम यह ध्यान नहीं देते कि बच्चे पर इसका क्या असर हो रहा। खाने को लेकर या किसी अन्य चीज को लेकर जब आप एक बच्चे की तुलना दूसरे से करते हैं तो इससे बच्चा हीन भावना का शिकार हो जाता हैं। ऐसी चीजें भविष्य में उन्हें तंग किया बिना नहीं रहती। बच्चों की जैसी प्रकृति है, उनको उसी तरीके से बढ़ने देने का अवसर दें।
सज़ा देना उचित है
सज़ा देते समय ज़रूरी है कि यह बच्चों के हित में हो और उसके गलत व्यवहार को बढ़ावा ना दे।
अगर बच्चा गलत बर्ताव करते हुए खाना फेंकने लगे या थाली पलट दे तो उसे ही साफ सफाई करने को कहें, ताकि वह दोबारा ऐसी गलती करने से बचे।
भोजन के लिए तंग करने पर बच्चे के साथ कुछ देर बाद ना करना या खाना ना देना भी आप सजा में शामिल कर सकते हैं। इससे उसे लगेगा कि भोजन ना मिलाना एक प्रकार की सज़ा है, ना कि भोजन सजा है।
खाना खत्म ना करने पर बच्चे को यह कहना भी प्रभावशाली हो सकता है कि खेलने नहीं दिया जाएगा, मनपसंद चीज नहीं मिलेगी या कोई अच्छी डिश नहीं मिलेगी आदि।
सावधान रहे –
➡ अधिकांशतः मां बच्चे को कहती है कि जल्दी-जल्दी खा ले, स्कूल की बस निकल जाएगी। ऐसा करना उचित नहीं है। समय का प्रबंधन करते हुए उसको धैर्य पूर्वक खाने का समय दें।
➡ खाने से पहले बच्चे को ऐसी चीजें ना दें, जिससे पेट भर जाए। इसके कारण उसकी भोजन के प्रति इच्छा कम हो जाएगी।
➡ खाना खाते समय बच्चे को भूलकर भी टीवी या मोबाइल का उपयोग ना करने दें। इससे खाने से ध्यान हटेगा। जो सही नहीं है।
➡ खाना खत्म करने पर बच्चे की तारीफ़ ज़रूर करें या कोई इनाम दें। जैसे स्वीट डिश, गुड़, आंवले का मुरब्बा, बेसन के लड्डू आदि।
➡ बच्चे को खुद से खाने की स्वस्थ आदत विकसित करने में मदद करें।
निष्कर्ष :-
साधारणतः अभिभावक जाने अनजाने ऐसी बातों का पालन नहीं करते और बच्चों से जोर जबरदस्ती पर अड़े रहते हैं। ऐसा करना कहीं से भी उचित नहीं जान पड़ता। मगर ऊपर दिए गए इन तरीकों का भी उपयोग करके, आप बच्चों की परवरिश के मामले में अच्छे माता पिता होने का परिचय दे सकते हैं।
आदर सहित धन्यवाद 🙏