बच्चों की मानसिकता को समझकर, उनका बेहतर पालन पोषण करना, सभी पेरेंट्स (Parent) के लिए एक चुनौती भरा काम है। खासकर तब, जब माता-पिता अपने आप को अच्छी परवरिश शैली के लिए पूर्ण रूप से समर्थ नहीं पाते। अभिभावक के रूप में बच्चों के भले के लिए, इन सुझावों को अपनाकर आप अपने पेरेंटिंग स्टाइल को और भी बेहतर बना सकते हैं।
➡ मालिक नहीं, मित्र बने
जो माता-पिता (Parent) अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हैं। उनका संबंध उन माता-पिता की तुलना में ज्यादा मजबूत होता है, जो अपने बच्चों पर अधिकार जमाते हैं।
पेरेंट्स के रूप में आपको इस सच का सामना करना होगा कि आप अपने बच्चों के विश्वसनीय सहयोगकर्ता हैं, मालिक नहीं। ऐसी बातें करने से बचें, जिसमें साफ रूप से बच्चे के प्रति अधिकार झलकता हो।
एक इंसान होने के नाते हमें विभिन्न स्तरों पर अपनी भूमिका निभानी होती है। मगर किसी भी स्तर पर हमें किसी अन्य व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन को अपने अनुसार चलाने का अधिकार नहीं है। चाहे वो आपके बच्चे ही क्यों ना हों। बशर्ते, उन्हें प्यार करें, उनकी देखभाल करें, सहयोग दें, अधिकार और जिम्मेदारियां समझाने में मदद करें, अच्छा व्यवहार करें और सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते रहें।
बच्चों के मालिक ना बनकर, एक ऐसा इंसान बनें जैसा आप अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं।
➡ समझानेे से पहले, खुद समझें
बहुत समझाने के बाद भी बच्चे पेरेंट्स (Parent) का कहना नहीं मानते। इसका मुख्य कारण आपकी अपनी उम्र के अनुसार, उनसे उम्मीद रखना है। बच्चों के सही गलत व्यवहार को स्वीकार करके, उसको विकसित होने में मदद करने के लिए माता-पिता को बहुत धैर्य की आवश्यकता है। सोच कर देखिए जब आप छोटे थे, तब आप भी ऐसे ही हरकतें करते थे। जैसी आज आप अपने बच्चों को करते देखते हैं।
आपके लाख मना करने के बाद भी बच्चा मिट्टी में खेलता है, सामान की तोड़फोड़ करता है, इधर-उधर हाथ पैर मारता है, सीढ़ियों पर चढ़ने की कोशिश करता है आदि। ऐसी परिस्थितियों में बिना वजह के बच्चे पर रोक-टोक लगाने की बजाय, उसके व्यवहार का सावधानी पूर्वक अवलोकन करें और उसको अपने बचपन के मजे लेने दें। हो सके तो आप अभी उनके खेल में भागीदार बनें।
“खुद वो बदलाव बनिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं”
– महात्मा गांधी
➡ बेशर्त प्यार और तारीफ़ करें
अधिकतर पेरेंट्स (Parent) के व्यवहार पर गौर करते हुए, मैंने देखा है कि वो अपने बच्चे को तभी प्यार करते हैं या सही व्यवहार करते हैं, जब उनके बच्चे कुछ अच्छा काम करते हैं अन्यथा चुभने वाले शब्द बोलने और अपने बच्चे को यह एहसास दिलाने से पीछे नहीं हटते कि वो उनसे कितने नाराज़ हैं। अभिभावक के तौर पर आपको ऐसा करने से बचना चाहिए और यह मत भूलिए कि आपका बच्चा आपके हर व्यवहार पर नज़र रखें हुए हैं।
बिना किसी शर्त के बच्चे से स्नेह पूर्ण संबंध रखना, आपके अच्छे माता-पिता होने की निशानी है। उनको यह एहसास दिलाते रहिए कि आप हर अच्छे काम में उनकी तारीफ़ करते हैं, उनको पुरस्कृत करते हैं और गलती होने पर डांटने की बजाय उसको सही करने में मदद करते हैं।
एक बच्चे के लिए माता-पिता के प्यार की कीमत, भौतिक वस्तुओं से कहीं अधिक है।
➡ नियम बनाएं
प्रत्येक परिवार में कोई ना कोई नियम अवश्य होते हैं। जो उस परिवार की ख़ासियत बन जाते हैं। जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल ना करना, कुछ समय भगवान की भक्ति में लगाना, जो भी प्रयाप्त है उसके लिए धन्यवाद करना, नशे से संबंधित पदार्थों से दूर रहना, किसी के साथ धोखा ना करना, शारीरिक बनावट को लेकर किसी का उपहास न उड़ाना, भोजन करते समय टीवी या मोबाइल ना देखना आदि।
पेरेंट्स (Parent) के तौर पर आप ऐसे नियम बनाएं, जो सबके हित में हों। बशर्तें आप भी उन नियमों का पालन करना ना भूलें।
नियमों में लचीलापन रखें क्योंकि कठोर नियम, अक्सर जीवन मुश्किल बना देते हैं।
➡ स्वास्थ्य संबंधित बातें करें
बच्चों के ज्ञान में वृद्धि करने के लिए, उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना बहुत ज़रूरी है। एक बच्चे के लिए मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी मायने रखता है।
उदाहरण के लिए खाना खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोना, दांतों को ब्रश करना, दिनचर्या में पौष्टिक आहार या फल शामिल करना, अधिक फास्ट फूड खाने से बचना, साफ-सफाई रखना आदि। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न तरह के तरीकों को विस्तार से समझने के लिए आप सोशल मीडिया के साथ साथ किसी एक्सपर्ट की भी सलाह ले सकते हैं।
बच्चों को सही ढंग से विकसित होने में मदद करने के लिए, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है।
➡ छोटी-छोटी गतिविधियां करें
बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए, इस तरह की गतिविधियां मददगार साबित हो सकती हैं। सुबह – शाम को टहलने जाना, बच्चे को विभिन्न तरह की कहानियां सुनाना, पौधों को पानी देना, प्रकृति की देखभाल करना, हफ्ते के अंत में परिवार के साथ कहीं घूमने जाना, बच्चों के साथ खेलना ( क्रिकेट, ताश, लूडो, फुटबॉल आदि ), विभिन्न तरह के पौष्टिक पकवान बनाना आदि।
जीवन में इस तरह की गतिविधियां शामिल करने से बच्चों के साथ-साथ आप भी बोर नहीं होंगे तथा अपने परिवार के साथ क्वालिटी समय बिता पाएंगे।
रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए, साथ में की गई छोटी-छोटी गतिविधियां बहुत मायने रखती हैं।
➡ मधुर संबंध बनाएं
जिन परिवारों में माता-पिता के बीच अच्छे संबंध होते हैं, उनके बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, नाखुशी आदि बहुत कम मात्रा में होती हैं। परवरिश के दौर में यह सबसे ज़रूरी है कि पेरेंट्स, पति-पत्नी भी होने के तौर पर अपने रिश्ते को मजबूत और स्नेहपूर्ण बनाने का प्रयास करते रहें क्योंकि आपके व्यवहार का सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।
बच्चे के सामने अपने साथी की तारीफ़ करना, काम में हाथ बंटाना, प्यार जताना, साथ में भोजन करना, लड़ाई झगड़े से बचना, उपहार स्वरूप कुछ चीज देना आदि तरीके आपके बेहतर पति-पत्नी होने का सबूत हैं।
मधुर संबंध लंबे समय तक परिवार को आपस में जोड़े रखते हैं।
Note
याद रखें बच्चों की बढ़ती उम्र के अनुसार, परवरिश शैली में भी अनेक बदलावों की आवश्यकता होती है। ज़ाहिर है कि 15 साल के बच्चे का पालन पोषण, आप 4 साल के बच्चे की तरह नहीं कर सकते। समय के साथ बदलाव ज़रूरी है।
आदर सहित धन्यवाद 🙏