बच्चों को छोटे-छोटे काम सिखाने के फायदे | Parents

हर दिन किये गए छोटे-छोटे प्रयास, आगे के भविष्य की नींव रखेंगे

अगर देखा जाए तो पेरेंट्स (parents) यह सोचकर अपने बच्चों से काम करवाने से कतराते हैं कि अभी खेलने पढ़ने की उम्र में यह सब शोभा नहीं देता। जब बच्चे बड़े होंगे, अपने आप सीख जाएंगे। मगर माता-पिता के तौर पर आप यह मत भूलिए कि पढ़ाई और खेल के साथ-साथ कुछ ऐसे भी काम हैं, जो बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बेहद आवश्यक हैं।
छोटे-छोटे कामों से होने वाले फायदों को जानने के लिए, आप यहां पर दी गई जानकारी का लाभ उठा सकते हैं।

संभवत: आपने वो बच्चे देखें होंगे। जिनके चेहरे पर नाखुशी के भाव होते हैं, सुस्त होते हैं, सबसे छोटा काम करने से भी कठिनाई महसूस करते हैं। ज़ाहिर सी बात है जैसे माहौल में परवरिश होती है, बच्चे उसी के अनुसार ढ़ल जाते हैं।
4 साल की उम्र के बाद बच्चों से घर के छोटे-छोटे कामों में मदद लेना शुरू करें। जैसे खाने के बाद बर्तन सिंक में रखना, कपड़ों को धोने की जगह रखना, कोई छोटी चीज पकड़ाना (आप कह सकते हैं, “बेटा वहां से थोड़े आलू दे दो, थोड़े प्याज दे दो” आदि), अपने खिलौने सही जगह पर रखना, पौधों को थोड़ा-थोड़ा पानी देना आदि। इन छोटी-छोटी गतिविधियों के कारण बच्चे दिन भर एक्टिव रहते हैं।

सोच कर देखिए एक बच्चा कितना खुश होगा, जब उसको लगेगा कि मैं भी घर के काम करने में माता-पिता की मदद कर सकता हूं। जो भी काम बच्चा धीरे-धीरे सीखने लगता है। उसके प्रति उसमें आत्मविश्वास जागना स्वाभाविक है। घर के कामों के माध्यम से आप बच्चों में आत्मविश्वास की भावना जगा सकते हैं।

उस दिन मुझे यह देख कर बहुत खुशी हुई, जब एक 6 साल की बच्ची अपने साढ़े तीन साल के छोटे भाई को खाना खिला रही थी। ज़िम्मेदारी हर काम की हो सकती है, चाहे वह काम छोटा हो या बड़ा।
पेरेंट्स (parents) द्वारा सिखाए गए छोटे-छोटे काम, बच्चों को शुरू से ही ज़िम्मेदार बना देते हैं। जिसके चलते भविष्य में वो बड़ी ज़िम्मेदारी लेने से भी पीछे नहीं हटते और अपनी एक अलग पहचान बना पाने में कामयाब रहते हैं।

एक अकेला इंसान दिनभर के सारे काम करके बहुत थक जाता है। खासकर, बच्चों की मां। अभिभावक के तौर पर जब आप बच्चों को घर के काम सीखने के बाद मदद लेते हैं तो आपके कंधों से छोटे-मोटे कामों की ज़िम्मेदारी हट जाती है। जो आपको बेहतर और आरामदायक महसूस कराती हैं।

घर या बाहर के काम, बच्चों के बेहतर विकास के रूप में अच्छी समझ विकसित करते हैं। कौन सी चीज कहां रखनी है या इस काम को कैसे करना है आदि बच्चे शुरू से ही समझने लगते हैं।

मेरे चाचा जी का लड़का 10 साल का होने वाला है। सुबह साइकिल पर दूध लेकर आना, दुकान से छोटा-मोटा सामान या सब्जियां लाना, घर में मिठाई बनाने में मदद करना, बुक्स को कवर करना, खराब होने पर अपनी साइकिल ठीक करवाने जाना, महीने के अंत में दूध के पैसों का हिसाब करवाना, मेहमानों को भोजन परोसने में मदद करना आदि कामों की ज़िम्मेदारी वह खुशी-खुशी निभाता है। आगे चलकर ऐसे बच्चों को सामाजिक संपर्क को लेकर, विभिन्न समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।

बच्चों के पालन पोषण में आसपास के वातावरण का बहुत बड़ा योगदान होता है। अधिकतर, गांवों के बच्चों को शहर के बच्चों की तुलना में, असल जीवन में प्रयोग होने वाली चीजों का ज्यादा पता होता है। जैसे खेती-बाड़ी, घर के काम, पशुओं के बारे में जानकारी, रिश्तेदारों की पहचान आदि।

इस बात को अन्यथा ना लेते हुए, शहरों में रहने वाले पेरेंट्स (parents) भी अपने बच्चों के ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं। जितना अधिक हम सीखने के प्रति समर्पित रहते हैं, उतना ही अधिक हम सीखते जाते हैं।

हम जिस काम को अच्छे से सीख लेते हैं, उसको लेकर, एक लीडर के रूप में भी भूमिका निभा सकते हैं। एक टीम के रूप में हमारी क्या ज़िम्मेदारी है, यह हम काम करते हुए सीखते हैं।
परिवार का आपस में बांटकर काम करना, टीमवर्क के रूप में बच्चों को माहिर बनता है। जिसके चलते आने वाले भविष्य में, वो टीम मेंबर्स की भावनाओं को समझते हुए, बेहतर लीडर की भूमिका निभा सकते हैं।

अभिभावक के तौर पर आपके यही छोटे-छोटे प्रयास, भविष्य में बच्चों अनेक समस्याओं का सामना करना सिखाएंगे। आज के समय में, सिर्फ़ पढ़ाई करने वाले अधिकतर बच्चे उदास और परेशान रहते हैं। क्योंकि बिना किसी अन्य प्रतिभा और कोई काम में रुचि ना होना, जीवन को नीरस बना देता है।
बच्चे एक ही एक काम करते हुए बोर हो जाते हैं। जिससे डिप्रेशन का ख़तरा बढ़ने लगता है।
समझदार पेरेंट्स होने के नाते, अभी से बच्चों की छोटे-छोटे कामों में रुचि बनाना और उसमें कोई प्रतिभा विकसित करने में मदद करना भी आपका कर्तव्य है। ताकि भविष्य में आपके बच्चों के पास, सफलता के अनेक विकल्प मौजूद हों।

Note :-

इस बात का ध्यान रखते हुए कि बच्चों को उम्र के अनुसार, कामों की ज़िम्मेदारी दें। क्योंकि छोटे-छोटे बच्चों से बड़े काम करवाना अक्सर नुकसानदायक हो सकता है।

धन्यवाद 🙏

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