रिश्तों में मिठास बनाए रखना बहुत से तरीकों पर निर्भर करता है, आप रिश्ते को तोड़ना चाहते है या जोड़ना ये आप खुद तय करते है, इसे समझने वाले लोग ही अपने जीवन में इनका सही उपयोग करते हैं, चाहे माता-पिता हों, पति-पत्नी हों, या दोस्त और रिश्तेदार, कई विकल्प और उपाय होने के बावजूद भी क्यों ऐसा होता है कि रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जाती है? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए, आइए कुछ उदाहरणों के साथ इस विषय पर विचार करें।
हर चीज़ की एक सीमा होती है, यदि हम अपनी भावनाओं को एक हद से बाहर जाने देते हैं, तो चीजों को संभालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी ने गुस्से में आकर अपना फोन दीवार पर फेंक दिया, इस स्थिति में या तो वह व्यक्ति जिसने फोन फेंक दिया, वो खुद को शांत करके स्थिति को संभाल सकता था, या फिर अनियंत्रित गुस्से में फेंक कर खुद ही अपना नुकसान कर बैठा, ठीक इसी तरह, माता-पिता अपने बच्चों को गलत आदतों से बचा सकते हैं यदि वे समय पर सावधान हो जाएं, बच्चों पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव अक्सर माता-पिता की अनदेखी का परिणाम होता है.
रिश्तों में होने वाली छोटी-छोटी बहस और झगड़े न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि बच्चों पर भी इसका बहुत ही बुरा असर पड़ता है, बच्चे हमारे व्यवहार से बहुत कुछ सीखते हैं, और जब वे लगातार नकारात्मक माहौल में रहते हैं, तो वे भी वही आदतें और व्यवहार अपनाने लगते हैं.
इसी प्रकार, माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान न देकर उन्हें गलत आदतों में डाल सकते हैं, उदाहरण के लिए, कई माता-पिता बच्चों को खाना खिलाने के लिए उन्हें मोबाइल का लालच देते हैं, जो भविष्य में गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है.
आदतों को लगाना बहुत ही आसान है, लेकिन उन्हें छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है, यदि हम शुरुआत में ही सचेत रहें और सकारात्मक आदतों को बढ़ावा दें, तो रिश्तों में मिठास और आपसी समझ बनी रहती है.
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी और अपने बच्चों की आदतों को किस दिशा में ले जाते हैं, भविष्य में रिश्तों में मिठास बनाए रखने के लिए आज ही सही कदम उठाएं, क्योकि कोई भी चीज खराब होने के बाद पहले जैसी नहीं हो सकती इस बात का हमेशा ध्यान रखे.