परवरिश में लगेंगे चार चांद, अपनाएं ये 8 तरीके | Parenting tips

बच्चों की परवरिश के लिए सफलता का मंत्र है सही दृष्टिकोण और समझ, हर माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे आत्मनिर्भर, जिम्मेदार और खुशहाल बनें, तो कुछ विशेष तरीकों को अपनाना आवश्यक है, इस आर्टिकल में हम आपको बच्चों की परवरिश के 8 ऐसे टिप्स बताएंगे जो आपके बच्चों के विकास में चार चांद लगा देंगे।

  1. दूर की सोचें
    बच्चों की परवरिश के लिए लम्बी सोच अपनाना बेहद जरूरी है, बच्चों को ऐसे कभी भी न संभालें जैसे कि आप किसी अर्जेंट परिणाम की तलाश में हैं, उदाहरण के तौर पर, अगर आप घर बना रहे हैं और उसमें बेहतर सामग्री का उपयोग नहीं करते हैं, तो कुछ समय बाद वह घर कमजोर हो जाएगा, इसी तरह, बच्चों की परवरिश में अगर आप शुरू से ही ध्यान नहीं देंगे, तो उनके विकास में समस्याएं आएंगी.

उनके बचपन के शुरुआती सालों में ध्यान देकर आप उनके भविष्य को स्थिर और मजबूत बना सकते हैं, बचपन में जो आदतें वे सीखते हैं, वही उनकी ज़िंदगी का आधार बनती हैं, और इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि आप परवरिश को एक लम्बी प्रक्रिया के रूप में देखें और समझें, फिर आपकी हर कोशिश का असर भविष्य में दिखेगा.

  1. दिखावे की बजाय वास्तविकता में जिएं
    सच्चाई पर आधारित जीवन जीने की कोशिस करें और अपने बच्चों को भी यह सिखाएं, समाज में दूसरों से कम्पेयर करना या दिखावे के पीछे भागना, बच्चों को एक गलत मेसेज देता है, अगर आप उन्हें सच में सिखाना चाहते हैं कि असली खुशी सामान्य जीवन में होती है, तो खुद भी वैसा जीवन जिएं.

बहुत से माता-पिता बच्चों के सामने महंगे कपड़े वगैरह का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन इसका असर नकारात्मक होता है, क्योकि इससे बच्चे दिखावे को ही प्राथमिकता देने लगते हैं, इसलिए बच्चों को सिखाएं कि वास्तविकता और सच्चाई सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, और उन्हें बनावटीपन और दिखावे से दूर रखें।

  1. भागो मत, जागो
    बच्चों की स्वाभाविक विकास प्रक्रिया में दखलंदाजी बिलकुल न करें, माता-पिता अक्सर बच्चों पर दबाव डालते हैं कि वे पढ़ाई करें, अच्छे नंबर लाएं, और सफल बनें, लेकिन यह दबाव बच्चों के स्वाभाविक विकास को रोक सकता है.

बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलने, और सीखने की आजादी भी दें, ज्यादा दबाव डालने से बच्चों में गुस्सा, असंतोष और अवसाद जैसी समस्याएं आ सकती हैं, उनका बचपन उनकी सबसे महत्वपूर्ण उम्र होती है, जिसमें वे खुद को पहचानने और सीखने की कोशिश करते हैं, इसीलिए उन्हें प्राकृतिक रूप से विकसित होने का अवसर दें।

  1. इच्छाएं मत कुचलें
    बच्चों की रुचियों और क्षमताओं का हमेशा सम्मान करें, जब बच्चे किसी खास काम में रुचि दिखाते हैं, तो अक्सर माता-पिता उसे नजरअंदाज कर देते हैं या उसे जिद्द समझते हैं, लेकिन इससे बच्चे के मन पर और आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ता है.

आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप बच्चों की इच्छाओं और उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा दें, उनके स्वाभाविक कौशल और रुचियों को पहचानें और उन्हें उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, इससे वे अपने सपनों को साकार कर पाएंगे और आपसे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

  1. स्वीकार करना सीखें
    बच्चों को उनके स्वाभाविक रूप में स्वीकार करें, यह समझना जरूरी है कि हर बच्चा अलग होता है, जब आप अपने बच्चे का कम्पेरिजन अन्य बच्चों से करते हैं, तो यह उनके आत्म-सम्मान को प्रभावित करता है.

आपका ध्यान इस पर होना चाहिए कि अपने बच्चों की खूबियों और कमजोरियों को समझें और उन्हें उसी रूप में स्वीकारें, उन्हें हमेशा दूसरों से बेहतर बनाने के प्रयास में न लग जाए, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें कि वे अपने अनुसार सर्वश्रेष्ठ बनें.

  1. बोलने का लहज़ा बदलें
    बच्चों के साथ सकारात्मक और प्रेमपूर्ण भाषा का प्रयोग करें, आप कैसे बोलते हैं, इसका सीधा असर आपके बच्चों पर पड़ता है, अगर आप कठोर और नकारात्मक भाषा का प्रयोग करते हैं, तो बच्चे भी वैसा ही व्यवहार अपनाते हैं.

बोलने का सही तरीका बच्चों को सही संदेश देता है। कोशिश करें कि आपके शब्द प्रेमपूर्ण, सहायक और सकारात्मक हों, इससे बच्चे न सिर्फ बेहतर बातचीत करना सीखेंगे, बल्कि उनमे आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास भी विकसित करेंगे.

  1. अभी ज़िम्मेदारियों का अंत नहीं
    बच्चों की परवरिश में केवल स्कूल भेजना पर्याप्त नहीं है, बहुत से माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे के स्कूल जाने से उनकी जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि स्कूल शिक्षा का एक हिस्सा है, लेकिन बच्चों को परिवार से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

आपको चाहिए कि आप बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं, उन्हें सिखाएं कि समाज में कैसे व्यवहार करना है, और उन्हें अपनी गलतियों से सीखने का अवसर दें, बच्चों के साथ आपका समय उनकी परवरिश का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है.

  1. परवरिश में सुधार करें
    परवरिश में हमेशा सुधार की गुंजाइश होती है, अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे पर समाज का गलत असर पड़ रहा है, तो पहले यह सोचें कि आप खुद उनकी परवरिश में क्या सुधार कर सकते हैं.

आपके बच्चों पर आपका प्रभाव समाज के किसी भी प्रभाव से ज्यादा मजबूत होता है, इसीलिए यह सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश करें और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें.

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