बच्चो को सक्सेसफुल (Successful) कैसे बनाए

आज के समय में सफल होना कौन नहीं चाहता। सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को सक्सेसफुल (Successful) बनना चाहते हैं ताकि उनको अपने सपने पूरे करने में किसी प्रकार की रुकावट ना आए। इसके लिए पेरेंट्स को शुरुआत से ही बहुत सी बातों का ध्यान रखना होगा। नहीं तो बच्चों के लिए सक्सेस होना मुश्किल होने के साथ-साथ मानसिक रूप से परेशानी भरा काम हो सकता है। इस आर्टिकल की मदद से आप जानेंगे कि वो कौन सी बातें हैं जो आपको बच्चों को सफल बनाने के लिए ध्यान रखनी होगी।

➡️ पूरी कोशिश करें –

पेरेंट्स अपने बच्चों को बताएं कि किसी भी काम में सफल होने के लिए जी जान से कोशिश करनी बहुत जरूरी है और किस्मत से ज्यादा मेहनत पर भरोसा रखना चाहिए। मैंने देखा है कई पेरेंट्स बच्चों की सफलता (Successful) को भगवान की पूजा पाठ के साथ जोड़ते हैं कि अगर मंत्र जाप करोगे, दिन रात भगवान की भक्ति करोगे तो आप सफल हो जाओगे। मगर वो यह भूल जाते हैं कि सक्सेस होने के लिए मेहनत सबसे ज्यादा ज़रूरी होती है। इसीलिए अपने बच्चों को विभिन्न तरह के शॉर्टकट या मिथ्या बातें बताकर भटकाए नहीं बल्कि उनको मेहनत करने का सही रास्ता बताएं और उनका सहयोग करें।

➡️ हार स्वीकार करें –

जब भी हम किसी काम को लगन से करते हैं लेकिन उसका रिजल्ट हमें नहीं मिलता या फिर हम फेल हो जाते हैं तो उस असफलता को स्वीकार करना मुश्किल होता है क्योंकि हम सोचते हैं कि हमने तो पूरा प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद भी हम फेल हो गए लेकिन हो सकता है कि कहीं ना कहीं हमारी ही कमी के कारण हमें ऐसा रिजल्ट मिला।

पेरेंट्स अपने बच्चों को समझाएं कि अगर वो किसी भी फील्ड में फेल हो जाते हैं तो बहुत अफसोस करने की बजाय उस हार को स्वीकार करें और यह देखें कि कहां पर उनकी गलतियां हुई है, उन गलतियों को तलाशें और पुनः प्रयास करें। जो गलतियां पहले हुई थी उनको फिर से ना दोहराएं। निश्चित ही अबकी बार आप जरूर सफल होंगे।

अगर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ इस तरह से पेश आते हैं तो बच्चों में हिम्मत बंधती है और वो एक नया प्रयास करने के लिए तैयार रहते हैं।

➡️ दूसरों से सीखें –

मैंने कहीं पर पढ़ा है कि हमारी ज़िंदगी इतनी छोटी है कि हम सब कुछ खुद गलतियां करके नहीं सीख सकते इसीलिए दूसरों की खूबियों और खामियों से भी सीखें। पेरेंट्स अपने बच्चों का मार्गदर्शन करते समय उनको यह भी बताएं कि किसी भी इंसान में अगर अच्छे गुण हैं तो वह उनको कैच कर लें और अगर कोई व्यक्ति बार-बार गलतियां करने के कारण सफल नहीं हो रहा है तो उनसे यह सीखें कि हमें यह गलती कभी भी नहीं करनी। ऐसा करने से आप बहुत सी गलत चीजें सीखने से बच जाएंगे क्योंकि किसी भी चीज को शुरुआत से सही करना और बिगड़ने के बाद सही करना, दोनों में बहुत अंतर होता है।

➡️ Jealous फील ना करें –

आजकल के समय में दूसरों की सफलता को देखकर जलन पैदा होना बहुत आम बात हो गई है लेकिन बहुत से मामलों में हम यह भी देखते हैं कि एक व्यक्ति दूसरे को पीछे धकेलना के लिए कुछ भी कर सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे में इस तरह का गुण ना आए तो शुरुआत से ही सचेत हो जाएं और बच्चे को अपने कंपीटीटर्स से सीखना और उसकी तारीफ़ करना भी सिखाएं। इसके लिए आपको अपने बच्चों को मोटिवेट करते रहना चाहिए और यह बताते रहना चाहिए कि दूसरों की सफलता के प्रति जैलेस फील करने की बजाय अपनी क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दें।

➡️ बैलेंस बनाएं –

पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों को बताएं कि अगर हम अपनी किसी सफलता की खुशी बहुत लंबे समय तक मनाते रहें तो आगे के काम से हमारा ध्यान हट जाएगा, जिसके कारण हम पहले जितनी मेहनत करने के लिए तत्पर नहीं रहेंगे। इसीलिए हार और जीत दोनों परिस्थितियों में बैलेंस बनाकर चलना बहुत ज़रूरी है। फेल होने पर बहुत ज्यादा दुख करने की बजाय आगे के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना और सफलता पर बहुत ज्यादा खुशी मनाने की बजाय खुद को और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए काम करना बहुत ज़रूरी है। जीवन में विभिन्न परिस्थितियों में बैलेंस बनाकर चलेंगे तो लाइफ और भी आसान हो जाएगी।

➡️ अहंकार ना पालें –

रामकृष्ण परमहंस ने कहा था कि अहंकार ही असल रूप में माया है। अतः मनुष्य को इसका त्याग कर देना चाहिए। अहंकार को त्याग कर के ही मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। सफलता में सबसे बड़ी रुकावट है अहंकार का होना जो हमें ना तो कुछ नया सीखने देता है और ना ही हार को स्वीकार करने की हिम्मत देता है। बहुत से लोग ज़रा सी सफलता मिलने पर अपने आप को बहुत ऊंचा समझने लगते हैं लेकिन पेरेंट्स होने के तौर पर आपको शुरू से ही अपने बच्चे के अंदर से इस चीज को निकालना होगा ताकि भविष्य में वह अहंकार को अपनी सफलता के बीच ना आने दे।

ऊपर दी गई विभिन्न बातों को लागू करना और भी आसान हो जाता है अगर पेरेंट्स में ये गुण हैं क्योंकि जैसा कि हम हर बार सुनते हैं बच्चे पेरेंट्स को देखकर सीखते हैं, उनके व्यवहारों का अवलोकन करते हैं और अपने जीवन में अपना लेते हैं। उम्मीद करती हूं कि इस आर्टिकल से आपको कुछ मदद मिली है। धन्यवाद 🙏

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