Parents को अपने बच्चों से यह बात नहीं कहनी चाहिए

अगर आप पेरेंट्स हैं तो आपको पता होना चाहिए कि बच्चों को आपका कैसा व्यवहार पसंद है और कौन सी बातें उनको हर्ट कर सकती हैं क्योंकि बहुत से पेरेंट्स (Parents) अपने बच्चों को बिना सोचे समझे कुछ भी बोलते रहते हैं। बिना इस बात की परवाह किए कि बच्चे पर इसका क्या असर पड़ेगा। अगर आप बच्चे की नजरों में सच में अच्छे माता-पिता बनना चाहते हैं तो आज ही से आपको ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना बंद करना होगा। अन्यथा भविष्य में बच्चे आपको रोल मॉडल मानना तो दूर आपकी परवरिश पर भी सवाल उठाने लगेंगे। आइए जानते हैं वो कौन सी बातें हैं जिनका उपयोग करना लगभग सभी घरों में कॉमन हो चुका है।

➡️ ज्यादा मत बोला कर या चुप रहा कर –

सभी बच्चों की अपनी अलग प्रकृति होती है जिसके कारण वो इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट होते हैं। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों पर अपने पेरेंट्स के सामने सवाल खड़े कर देते हैं जैसे कि यह चीज ऐसी है तो ऐसी क्यों है, यह चीज ऐसी क्यों नहीं है या फिर ऐसा क्यों नहीं हो सकता आदि और फिर ऐसा देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चे से तंग आकर उसको चुप करवाने का पूरा प्रयास करते हैं या उसको बहुत जोर से डांटने लगते हैं जिसमें अपशब्दों का यूज करना भी उनको आम बात लगती है।

सबसे पहले तो पेरेंट्स को यह समझना होगा कि वह बच्चे हैं उनके अंदर जो भाव हैं जो सवाल हैं वो शब्दों के माध्यम से बाहर आना चाहते हैं जिसके कारण वो अपने जुबान पर काबू नहीं पा सकते। अगर आप इसी तरह से बच्चों से तंग आते रहेंगे तो यह अच्छी परवरिश का सबूत नहीं है क्योंकि पेरेंटिंग में सबसे ज्यादा जरूरी है धैर्य का होना। बच्चों की हरकतों को सहन करना, उनकी यूजलेस बातों को सुनना, उनका जवाब देना, इन सबके लिए बहुत ही पेशंस की जरूरत होती है। जब आप अपने गुस्से पर काबू पाना सीख जाएंगे और धैर्य रखने की क्षमता आ जाएगी तब आप अपने बच्चे को ‘चुप रहा कर’ ऐसा कहकर उसके अंदर की जिज्ञासाओं को नहीं मारेंगे और अच्छी परवरिश के लिए एक कदम आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

➡️ तुम बहुत बुरे/बुरी हो –

जब भी कोई हमारे लिए गलत शब्द यूज करता है तो हमें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। फिर हम यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि बार-बार बोल गए ऐसे शब्द बच्चों को अच्छे लगेंगे।

स्वाभाविक है कि गलतियां इंसान से ही होती है और बच्चों से तो उससे भी ज्यादा गलतियां होती हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं कि पेरेंट्स हर समय उन पर टिप्पणी कसें या ऐसी बातें बोलकर बार-बार उनको टॉर्चर करें। बहुत ही कम पेरेंट्स ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार समझते हैं और उनसे सब कुछ सही होने की उम्मीद नहीं करते। इसी वजह से उनकी परवरिश बेहतर स्तर की होती है और बच्चे अपने प्रति मन में गलत धारणा नहीं बनाते।
क्या यह अच्छा नहीं होगा कि बाकी पेरेंट्स भी ऐसे अभिभावकों से सीखें, उनकी आदतों को अपने जीवन में अपनाएं और विभिन्न तरह के तरीके खोजें जिनसे परवरिश को और भी बेहतर बनाया जा सके।

➡️ भगवान ऐसी औलाद किसी को ना दे –

मैंने बहुत से पेरेंट्स के मुंह से बच्चों को यह कहते हुए सुना है कि सारा दिन नाक में दम करके रखा है, इससे अच्छा भगवान हमें औलाद ना ही देता।

पहले तो आप यह सोचकर देखिए कि जो बच्चा इस बात को सुन रहा है उसके मन पर क्या बीत रही होगी। उसकी खुद के प्रति गलत धारणा बनना स्वाभाविक है कि मैं सच में किसी लायक नहीं हूं तभी तो मेरे माता-पिता मुझे ऐसा कहते हैं।
अगर आप भी अपने बच्चों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो आज ही से ऐसा बोलना बंद कर दीजिए क्योंकि हो सकता है इसका गलत प्रभाव आज आपको ना दिखे लेकिन आने वाले समय में जरूर दिखेगा और भगवान ने आपको संतान के रूप में एक खूबसूरत तोहफे के साथ-साथ एक जिम्मेदारी भी दी है जिससे आप पीछे नहीं हट सकते।

➡️ एक काम ढंग से नहीं होता तुमसे –

आज आप जो भी काम करते हैं क्या वह आपने बचपन से ही एक ही बार में सीख लिया था। जाहिर सी बात है नहीं सीखा होगा। गलतियां भी की होंगी फिर उन गलतियों को सुधार कर आप आगे बढ़े होंगे।

बच्चे भी कुछ ऐसा ही करते हैं अगर वह एक काम सही ढंग से करेंगे तो उसके पीछे 10 गलतियां करेंगे लेकिन अगर आप उनको मोटिवेट करने की बजाय ऐसा कहेंगे कि तुमसे कुछ नहीं होगा या कोई भी काम ठीक तरीके से नहीं आता तुमको तो वो निराश हो जाएंगे और अपने आप को किसी भी काम के लायक नहीं समझेंगे।

ध्यान रखें कि बच्चे को कोई भी छोटा सा काम सौंपते वक्त धैर्य भी रखें और यह उम्मीद मत करें कि आपके द्वारा तय किये गए समय में वह उस काम को पूरा कर देगा। आपके द्वारा बोले गए गलत शब्द बच्चे को खुद के प्रति डाउट पैदा करते हैं जिसके कारण वह भविष्य में किसी छोटे से काम की भी जिम्मेदारी लेने से पीछे हटने लगेगा। इसीलिए पेरेंट्स को बच्चों का सहयोग करके उनको आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहना चाहिए।

➡️ तुम हो ही सजा के लायक –

जब भी पेरेंट्स द्वारा बच्चों को कोई पनिशमेंट दी जाती है तो इसके पीछे या तो कोई ना कोई कारण होता है या फिर पेरेंट्स अपनी फ्रस्ट्रेशन अपने बच्चे पर उतार रहे हैं।

अगर आप बच्चे पर गुस्सा उतारने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो यह किसी भी मायने में सही नहीं है लेकिन अगर बच्चे ने कुछ ऐसी गलती की है जिसके कारण उसको सजा मिल रही है तो इसके साथ-साथ उसको यह भी बताएं कि किस कारण से उसको सजा मिल रही है और उसकी गलती को सुधारने में उसका सहयोग करें ताकि वह यह ना समझे कि आप उसके भाई या बहन को तो प्यार करते हैं लेकिन उसको प्यार नहीं करते और भूल कर भी अपने बच्चे के लिए ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल ना करें जिसके कारण उसके मन को ठेस पहुंचती है क्योंकि आपका उद्देश्य बच्चों के भविष्य को बेहतर और उज्जवल बनाना है ना कि अंधकारमय बनाना और उसके लिए और मुसीबतें खड़ी करना है।

मुझे पूरा विश्वास है कि छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर और अच्छे तरीके अपनाकर आप बेहतर पेरेंट्स के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगे। इसके साथ-साथ अन्य माता-पिता के सामने अच्छी पेरेंटिंग शैली का उदाहरण पेश करेंगे।
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

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