दीपावली का पर्व भारत में अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह त्योहार केवल रौशनी और उत्सव का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रभु श्रीराम की अयोध्या वापसी की याद भी दिलाता है। जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की और चौदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब उनके आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे। तभी से हर वर्ष यह पर्व मनाया जाने लगा, जिसे हम आज दीपावली (Diwali) के रूप में जानते हैं।
दीपावली और नववर्ष का संबंध
दीपावली के ठीक अगले दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है। यह परंपरा इसलिए है क्योंकि जब राम जी अयोध्या लौटे थे, तब उन्होंने न केवल अयोध्या में बल्कि समस्त मानवता में एक नए युग की शुरुआत की थी। उनकी वापसी ने लोगों के जीवन में सुख-शांति और आनंद का संचार किया। इसलिए दीपावली (Diwali) के अगले दिन, जिसे गोवर्धन पूजा या प्रतिपदा कहते हैं, सभी एक-दूसरे को नया साल मुबारक कहते हैं।
दीपावली के दिन की परंपराएं
दीपावली के दिन लोग घरों को साफ-सुथरा कर सजाते हैं, ताकि लक्ष्मी जी का स्वागत किया जा सके। इसी दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिले। घरों और बाजारों में रौशनी के लिए दीपक और बिजली की लाइट्स लगाई जाती हैं, जो इस पर्व की रौनक को और भी बढ़ा देती हैं।
नए साल का स्वागत
दीपावली के दूसरे दिन से लोग नया साल मनाते हैं, विशेषकर गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में इस परंपरा का विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और नए साल की शुभकामनाएँ देते हैं। यह दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है, जब लोग पुराने दुःखों को भूलकर नए सपनों के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।
इस प्रकार, दीपावली का पर्व हमारे जीवन में उल्लास, प्रेम और एक नए सिरे से जीवन जीने की प्रेरणा लेकर आता है।
Diwali Wishes
जगमगाते दीपो सी, जिंदगी जगमगाए
फुलझडियो सी हंसी, ख़ुशी जीवन में आए
लक्ष्मी गणपति सरस्वती की, कृपा हो आप पर
धन दौलत की वर्षा, आपके आँगन बरस जाए
दुश्मन भी दोस्त बने, हर सर झुक जाए
आपका ही बोलबाला, हर तरफ नजर आए
हार कभी हो नहीं बस, जीत मिलती जाए
जहाँ कदम आप रखे वहां, खुशियाँ बिखर जाए
मायूस चेहरों पे मुस्कान की, वजह आप बनो
हर दिल पे राज करने की, जगह आप बनो
घर जगमगाए आपका, खुशियों से सजे
झोपड़ियो में भी कर उजाला, हंसी आप बनो