कभी कभी पेरेंट्स (parents) सबसे आसान रास्ता चुनने के कारण बच्चों की परवरिश के मामले में समझौता कर लेते हैं लेकिन अगर आप लंबे समय तक अच्छे रिजल्ट पाना चाहते हैं तो आपको एक बेहतर प्रोसेस से गुजरना होता है। आप पाएंगे कि थोड़ा समय लगा कर भी है आप अपने बच्चों के साथ रिलेशनशिप को काफी हद तक मेंटेन करके रख सकते हैं। अगर आप पेरेंटिंग से संबंधित सबसे यूनिक टिप्स चाहते हैं तो यह आर्टिकल सिर्फ आपके लिए है।
➡️ खुद को मत बचाएं –
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब भी पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने, उनको कुछ नया सिखाने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं या बच्चों के मानसिक विकास के लिए सिर्फ टीचर्स के भरोसे रहते हैं तो वे खुद को जिम्मेदारी लेने से बचा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि पेरेंट्स के लगातार ऐसा करने से भविष्य में बच्चों को लेकर कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा और आप अपने संबंधों को बिखरते हुए देखेंगे। अगर आप इस चीज से बचना चाहते हैं तो खुद को उन चीजों से मत बचाइए जो पेरेंट्स और बच्चों के रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है। छोटी-छोटी जिम्मेदारियों को निभाकर ही पेरेंट्स अच्छी परवरिश में बहुत बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
➡️ मुश्किल काम चुनें –
अधिकतर पेरेंट्स हम देखते हैं कि वो आसान चीजों की तरफ भागते हैं जैसे कि फीस देकर बच्चों को ट्यूशन लगाना पेरेंट्स को आसान लगता है बजाय इसके कि वो घर पर ही उनके साथ समय बिताएं, कहानियां सुनाएं, पढ़ाने का अलग तरीका खोज कर बच्चों पर अप्लाई करें क्योंकि माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों के साथ कौन माथा पच्ची करे। इससे अच्छा है थोड़ी और फीस देकर बच्चे को एक और टीचर के हवाले कर दें ताकि वही बच्चे को सब कुछ सीखा दे लेकिन आप यह मत भूलिए कि ऐसा करके आप अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। जब आप इस मुश्किल तरीके को चुनते हैं तो आपको दो फायदे देखने को मिलेंगे पहला यह कि इसमें पैसे खर्च नहीं होते और दूसरा यह कि ये आपको लॉन्ग टर्म तक अच्छे रिजल्ट देता है। पेरेंट्स पर निर्भर करता है कि वो परवरिश करने के कौन से तरीकों का चुनाव करते हैं।
➡️ अहसास दिलाएं –
परिवार के हर सदस्य की अपने आप में एक वैल्यू होती है चाहे वह बच्चा है या फिर बड़ा। बच्चों को प्रेम देने का यह एक अच्छा तरीका है कि पेरेंट्स उनकी रिस्पेक्ट करें। हर छोटे काम के लिए उनकी तारीफ करें। जब बच्चा पहली बार खुद से पानी लेकर पीना सीखता है, खुद से कपड़े पहनना सीखता है या पक्षियों को दाना डालता है तो आप कुछ ऐसे शब्द कहकर उनको अहसास दिलाएं कि वो वास्तव में कितना अच्छा काम कर रहे हैं और परिवार में उनकी भी उतनी ही वैल्यू है जितनी कि बाकी सदस्यों की।
यह चीज बच्चों के अंदर एक नई प्रेरणा, ऊर्जा और आत्मविश्वास लेकर आती है जिसके कारण वो धीरे-धीरे जिम्मेदार बनना सीखते हैं।
➡️ पोषण दें –
सोच कर देखिए जब हमें बहुत ज्यादा भूख लगी होती है और हमारे शरीर को किसी प्रकार का भोजन ना मिले तो क्या हाल होगा। जाहिर सी बात है कि हमारे शरीर में किसी काम को करने की ऊर्जा नहीं बचेगी और पूरा ध्यान खाने पर ही रहेगा।
मैंने देखा है कि अधिकतर पेरेंट्स अपने बच्चों को जबरदस्ती डांट पीटकर खिलाने पर तुले रहते हैं लेकिन वो यह भूल जाते हैं कि बच्चों के आत्मविश्वास और उनके मस्तिष्क को भी उतना ही पोषण चाहिए जितना एक बॉडी को एनर्जी बनाने के लिए चाहिए।
हो सकता है आप डर दिखाकर बच्चे से अपनी बात मनवा भी लें लेकिन ऐसे तरीके का परिणाम अच्छा नहीं होगा। इसलिए बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी उनको ऐसी चीजें दें जैसे प्रशंसा करना, दयालुता भरे शब्द बोलना, प्रेम करना, गलती करने पर थोड़ा सा डांटने के बाद समझाना, साथ में वक्त बिताना आदि। आपके ये प्रयास लंबे समय तक आपको बहुत अच्छे रिजल्ट देने वाले हैं।
आशा करती हूं कि आप इन चारों तरीकों को अपनाकर पेरेंटिंग स्टाइल में और भी ज्यादा सुधार करने में कामयाब रहेंगे। बहुत-बहुत आभार 🙏