कैसा लगेगा अगर आप children’s day पर ऐसी poem बोलें जो आपको बचपन की यादों से रूबरू कराए और आने वाले 14 नवंबर बाल दिवस को ओर भी बेहतरीन बनाए। इसलिए आज मैं आपको 2 ऐसी children’s day poem बताने जा रही हूं जिनको आप, सभी टीचर्स और बच्चों के सामने अच्छे तरीके से पेश कर सकते हैं।
POEM – 1 : children’s day poem
जब खेलते थे घर-घर कोई घर पराया नहीं लगता था चीजें मांग कर खाते और देने वालों को बुरा नहीं लगता था
हां वह बीती हुई यादें जन्नत थी हमारी
जहां कुछ भी तेरा मेरा नहीं लगता था
वक्त बदल गया और बदल गए दोस्त सारे
वह भ्रम भी टूटा जब साथ रहने के किये थे वादे
अब तो ऐसा है कि ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती
एक वक्त था जब आसमां के सपने थे हमारे
मैंने सुना है वक्त कभी एक जैसा नहीं रहता
हां यह सच है और सच कभी नहीं बदलता
कहते तो हैं हर पल को जियो, खूब जियो
मगर बचपन फिर से जीने का, तुम्हारा दिल नहीं करता?
चलो छोड़ो अब कुछ वापस नहीं आने वाला
एक दूसरे का साथ देकर आगे बढ़ते हैं
जिंदगी का सफर और भी आसान हो जाएगा
चलो अपने अंदर कुछ शरारतें और एक बच्चा भी जिंदा रखते हैं
POEM – 2 : children’s day poem
कहीं खिलौने, कहीं हाथ में छाले हैं,
सब बच्चे यहाँ कब एक रंग में ढ़ाले हैं
किसी का बचपन खेल रहा है गाड़ी में,
किसी बच्चे की किस्मत में बस नाले हैं
कहीं पर बच्चे बस्ते लिए स्कूल चले,
कहीं खाना माँग रहे और पैर जले
कहीं किसी को भरा पूरा परिवार मिला,
और कहीं पर भूखे, नंगे बच्चे सड़कों पर पले
कहीं किसी को कदर नहीं है खाने की,
कहीं पर कीमत पता है दाने दाने की
तुम जिस बचपन को कोस रहे हो शुक्र करो,
कितने मन्नत मांग रहे हैं बस इतना भी पाने की
दुआ करो हर बच्चे को पढ़ने का अधिकार मिले,
दुआ करो हर बच्चे को माँ बाप का प्यार मिले
दुआ करो तुम पर कभी ऐसे दिन भी ना आएं,
तुम्हें दर दर की ठोकर और दुनिया की फटकार मिले….
निष्कर्ष – मैं आशा करती हूं कि इन कविताओं से आपको ज़रूर मदद मिलेगी और इस तरीके से आप विचारों को व्यक्त करेंगे कि यह दिन सबके लिए एक यादगार दिन बन जाएगा। बहुत-बहुत शुभकामनाएं व धन्यवाद 🙏